सोमवार, 19 दिसंबर 2022

आख़िर इस दर्द की वजह क्या है ?


मधुरिमा


शिखर चंद जैन


व्यवहार विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों का मानना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा ि


और परेशान रहती हैं। वे बहुत जल्दी गुस्सा या जाती नी हो जाती है।


महिलाएं इन में रहती क्यों है?


आख़िर इस दर्द की वजह क्या है ?

महिलाओं से अधिक अपेक्षाएं....


कभी पत्नी की यत खराब हो और पति कच्ची-पक्की रोटी और पनीली सब्जी बनाकर बीवी-बच्चों को खिला दें, वे सब कहेंगे, "अरे वाह! कितना केयरिंग पति है, बीवी बीमार है ते भी बेचारे से जैसा बन पड़ा, बनाकर खिला दिया।' या पति बच्चे को तैयार करके स्कूल ले जाए और भले ही उसके जूतों पर पॉलिश न हो, कपड़े ठीक से आयरन न किए गए हो, बाल उटपटांग तरीके से संवारे गए हो, लेकिन लोग कहेंगे, 'देखो, कितना जिम्मेदार पति है, जरा भी आलस्य नहीं है इतनी सुबह उठकर बच्चे को तैयार भी कर दिया और स्कूल भी ले आया।" हालांकि ठीक यही काम कोई महिला करें, तो लोग तंज कसे बिना नहीं रहेंगे, 'अरे बस ऑफिस में कम्प्यूटर चलाना जानती है, खाना बनाने की जरा भी सुध नहीं है' या फिर ये कैसी फूहड़ मां है जो बच्चे के कपड़ों, जूतों का जरा भी ध्यान नहीं रखती। बच्चे के लिए इनके पास पंद्रह मिनट का भी समय नहीं और खुद हीरोइन बनी फिरती है। जाहिर है, महिलाओं से ऑफिस और घर दोनों जगह परफैक्ट होने की उम्मीद रखी जाती है, जिसके कारण उन पर मानसिक दबाव अधिक होता है और ये तनाव में रहती हैं।


भरपूर नींद भी नहीं मिलती...


महिलाओं को पुरुषों से अधिक नींद की जरूरत होती है, लेकिन वे अक्सर पूरी नींद नहीं ले पातीं। उन्हें घरेलू कामकाज निपटाने के लिए सुबह नियमित समय पर ही उठना पड़ता है, जबकि पुरुष आमतौर पर सुबह देर तक सोकर अपनी नींद पूरी कर लेते हैं। ऊपर से अगर पत्नी कामकाजी हो तो दोपहर में भी सो पाने का कोई मौका नहीं यह प्रामाणिक वैज्ञानिक तथ्य है कि नींद पूरी न हो पाने वजह से व्यक्ति जायटी स्ट्रेस प्रेशन का शिकार के सकता है। और में पति किसी प्रकार का तंज कस दें कोई हैरान-परेशन कर दे तो पत्नी महिला) का तुनक जाना स्वाभाविक है।

तनाव की मनोवैज्ञानिक


वजह...



वेब प्रोग्राम बनानेवाली कंपनी लैटर्न द्वारा करवाए गए शोध में पता चला है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में 11 फीसदी अधिक तनावग्रस्त और 16 फीसदी अधिक चिंतित रहती हैं। फैमिली साइकोलॉजिस्ट एमी शोफनर ने एक रिपोर्ट में बताया कि महिलाओं में स्ट्रेस लेवल अधिक रहने की वजह है चीजों या समस्याओं के प्रति उनका नजरिया महिलाएं तनाव देने वाले व्यक्ति या वस्तु से दूर नहीं जातीं। वे बार-बार समस्याओं की गहराई में जाती हैं और उनमें उलझती है. इससे उनके तनाव का स्तर बढ़ जाता है। जबकि पुरुष 'फाइट या फ्लाइट यानी लड़ो या फिर भाग जाओ पर यकीन रखते हैं। महिलाओं में स्ट्रेस अधिक होने की एक और वजह यह है कि वे परफेक्शनिस्ट होती हैं और साथ ही चीजों को लम्बे समय तक याद रखती हैं। वे किसी बात को आसानी से भूलती नहीं और दिन-रात उसी के सोच-विचार में डूबी रहती हैं। वे न तो खुद को, न ही टेंशन देने वाले को जल्दी से माफ कर पाती हैं। जैसे, बच्चे को स्कूल पहुंचाने में देर हो गई तो पुरुष पांच मिनट पछताने के बाद सामान्य हो जाएगा, लेकिन महिला खुद को अपराधी या बुरी मां मानकर कम से कम 24 घंटे तक टेंशन में रहती है।


पत्नी को नहीं मिलता ध्यान...


पत्नी चाहती है कि पति उसकी चिंता-फिक करे और उसे खुद का ध्यान रखने के लिए कहे। लेकिन ऐसा नहीं होता। पति अक्सर खुद के काम में ही व्यस्त रहते हैं या पत्नी की किसी समस्या को नोटिस नहीं करते, तो वह तनाव में रहने लगती है। अगर पति उसके तनाब पर गौर नहीं कर पाते तो वह जरा खुलकर अपनी भावनाएं प्रकट करने लगती है और गुस्से का इजहार करती है। जबकि पति चुप्पी साधकर उसके तुम्से पर इसलिए प्रति किया नहीं देते कि है समय उसका दि गर्म है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह स्थिति 'पोलराइजेशन कहलाती है। इसके तहत पति अपनी सोच पर अड़ जाता है और पत्नी अपनी सोच पर


जैविक कारण भी ज़िम्मेदार


न्यूयॉर्क मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. पाल जे. रोश बताते हैं कि महिलाओं में हार्मोन का उतार-चढ़ाव पुरुषों की तुलना में काफी अधिक होता है। इससे उनमें डिप्रेशन की समस्या होती है। महिलाएं निजी सम्बंधों में अधिक जुड़ी रहती है, इसलिए इनमें जरा सा भी विघ्न पड़ने पर वे कुंठित व चिंतित हो जाती हैं। वे सबका ध्यान रखती हैं, तो उन्हें भी वैसे ही व्यवहार की उम्मीद रहती है, जो बहुत कम सम्भव हो पाता है।


सैड सिंड्रोम का असर ज्यादा


वैज्ञानिकों के मुताबिक महिलाएं सेह सिंड्रोम यानी सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से पुरुषों की तुलना में कम से कम चार गुना ज्यादा प्रभावित हो। जाती हैं। दरअसल, कुछ लोग मौसम बदलने पर मूड में बदलाव ह करते हैं। ऐसे समय में वे डिप्रेशन और जनता महसूस करते हैं और ज्यादा से ज्यादा वक्त सोते रहना चाहते हैं, जो महिलाओं के लिए मुमकिन नहीं होता। कई बार इस रोग के लक्षण काफी गंभीर भी हो जाते हैं।

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