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शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

NHRC ने 6 राज्यों को नोटिस जारी किया

  Information gayn की खबर पर NHRC की कार्रवाई:


केंद्र और 6 राज्यों को नोटिस, पूछा- रोक के बाद भी मंदिरों में देवदासी क्यों बन रहीं महिलाएं



NHRC ने 6 राज्यों को नोटिस जारी किया

• कर्नाटक सरकार ने 1982 में और आंध्र प्रदेश सरकार ने 1988 में इस प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया।


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2013 में बताया था कि अभी भी देश में 4.5 लाख देवदासियां हैं।


जस्टिस रघुनाथ राव की अध्यक्षता में बने एक कमीशन के आंकड़े के मुताबिक सिर्फ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 80 हजार देवदासिया हैं।



• कर्नाटक में सरकारी सर्वे के मुताबिक राज्य में कुल 46 हजार देवदासियां हैं। सरकार ने केवल 45 साल से ऊपर की देवदासियों की ही गिनती की है।


• कर्नाटक राज्य देवदासी महिडेयारा विमोचना संघ के मुताबिक इनकी गिनती 70 हजार है।


सरकार ने इस पर रोक लगा रखी है, फिर ये प्रथा क्यों


फल-फूल रही है?


विश्वभारती विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और देवदासी परंपरा पर रिसर्च कर चुके डॉ. अमित वर्मा कहते हैं कि इसका जारी रहना वैसा ही है जैसे दहेज का कानून बनने के बाद भी लोग दहेज लेते हैं। बलात्कार के खिलाफ कानून है, लेकिन आए दिन बलात्कार और


देवदासी देवता से शादी कराकर यौन 



राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC ने दैनिक भास्कर की खबर 'देवता से शादी कराकर यौन शोषण प्रेग्नेंट होते ही छोड़ देते हैं, भीख मांगने को मजबूर खास मंदिरों की देवदासियां पर बड़ा एक्शन लिया है। आयोग ने दक्षिण भारत के 6 राज्यों समेत केंद्र सरकार के दो मंत्रालयों को नोटिस भेजा है।

अब उस खबर को भी पढ़ लीजिए जिस पर NHRC ने कार्रवाई की....


देवदासियों का गढ़ यानी बेंगलुरु से तकरीबन 400 किलोमीटर दूर स्थित उत्तरी कर्नाटक का जिला कोप्पल । पूर्णिमा की रात और चांद की रोशनी से नहाया हुलगेम्मा देवी का मंदिर भक्तों से खचाखच भरा है। हुदो, हुदो... श्लोक चारों ओर हवा में तैर रहे हैं। इस श्लोक का उच्चारण करने वाली हर तीसरी महिला के गले में सफेद और लाल मोतियों की माला यानी मणिमाला है। हाथों में हरे रंग की चूड़ियां और चांदी के पतले कंगन हैं।


वे दीये जला रही हैं। उनके हाथ में बांस की एक टोकरी है। जिसे यहां के लोग पडलगी कहते हैं। इसमें हल्दी कुमकुम, अनाज, सब्जी, धूप, अगरबत्ती, सुपारी, पान पत्ता, केला और दक्षिणा रखी है। वे देवी मां को पडलगी में रखे सामान अर्पित कर रही हैं। मंदिर में मौजूद बाकी लोगों से इनकी पहचान अलग है। वहां मौजूद एक शख्स से पूछने पर पता चलता है कि ये महिलाएं देवदासी हैं। (पूरी खबर पढ़िए )


मानवाधिकार आयोग ने 3 पॉइंट्स पर मांगे हैं जवाब

छेड़खानी की घटनाएं होती हैं। कानून बनने के बाद भी बाल विवाह नहीं रुक रहा। यही हाल देवदासी प्रथा का भी है। इसकी जड़ें काफी गहरी हैं।





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